Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी ) life story Happy Gandhi Jayanti 2021, गांधी जयंती जीवन परिचय , Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी का जीवन परिचय, जानिए मोहनदास करमचंद गांधी से जुड़ी 5 कहानी |
दोस्तों हम आज एक आजाद भारत में सांस लेते हैं| क्योंकि अंग्रेजों से हमें 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी,और दोस्तों देश को आजाद कराने के लिए ना जाने कितने ही लोगों ने अपना जीवन तक न्यौछावर कर दिया था हालांकि यहां भी आजादी के लिए लड़ने वाले खासकर दो अलग-अलग विचारधाराओं में बटे हुए थे जिनमें से एक तरफ तो वह लोग थे जो कि आजादी को अपनी ताकत के दम पर छीन ना चाहते थे तो वहीं कुछ लोग शांति पूर्वक अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आजादी हासिल करना चाहते थे और दोस्तों इन्ही अहिंसक वादियों में से एक थे राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें हम सभी आमतौर पर महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं |
और दोस्तों गांधीजी भारतीय इतिहास के वह व्यक्ति है जिन्होंने देश हित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई की है और उन्हें की तरह ही हजारों वीरो की वजह से हमारा देश 1947 मैं आजाद हो सका था तो दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम भारत के सबसे लोकप्रिय लोगों में से महात्मा गांधी के जीवन के बारे में जानेंगे कि किस तरह से अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले गांधीजी में अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था |
तो दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है 2 अक्टूबर 1869 से जब गुजरात के पोरबंदर शहर में महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ ,उनके पिता का नाम करमचंद गांधी ,और मां का नाम पुतलीबाई था हालांकि भले ही गांधीजी पोरबंदर शहर में पैदा हुए थे लेकिन जन्म के कुछ साल बाद ही उनका पूरा परिवार राजकोट में रहने लगा और फिर गांधीजी की शुरुआती पढ़ाई भी वही से हुई थी और दोस्तों 9 साल की उम्र में पहली बार स्कूल जाने वाले गांधीजी शुरू से ही काफी सरमिले थे
और वह बचपन से ही किताबों को अपना दोस्त मानते थे और फिर आगे चलकर और फिर आगे चलकर मात्र 13 साल की उम्र में ही उनकी शादी उन से 1 साल बड़ी लड़की कस्तूरबा गांधी से हो गई दरअसल भारत में उस समय शादियां काफी छोटी उम्र में ही हो जाया करती थी हालांकि आगे चलकर जब गांधी जी करीब 15 साल के थे सब उनके पिता का निधन हो गया और फिर पिता के निधन के 1 साल बाद ही गांधीजी पहली संतान भी हुई लेकिन दुर्भाग्य से जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई थी और इस तरह से गांधी जी के ऊपर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा
हालांकि इन कठिन परिस्थितियों में भी गांधी जी ने खुद को संभाला और फिर 1887 में अहमदाबाद से उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर आगे चलकर कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद ही से मार जी दवे जोशी जी की सलाह पर गांधी जी ने लंदन जाकर लॉ की पढ़ाई कि हालांकि 1888 में गांधीजी दूसरी बार पिता बने और इसी वजह से उनकी मां नहीं चाहती थी कि वह अपने परिवार को छोड़कर कहीं दूर जाए लेकिन कैसे भी करके उन्होंने अपनी मां को मनाया और फिर 4 सितंबर 1888 को लंदन पढ़ाई के लिए वह चले गए और फिर 1891 में पढ़ाई पूरी करके वह अपने वतन वापस आए गए
हालांकि विदेश मैं पढ़ाई करने के बावजूद भी भारत आने पर उन्हें नौकरी के लिए काफी भागा दौड़ी करनी पड़ी और फिर 1893 मैं दादा अब्दुल्लाह एंड कंपनी नाम के एक भारतीय कंपनी मैं उन्हें नौकरी मिली हालांकि इस नौकरी के लिए उन्हें साउथ अफ्रीका दौरा पड़ा था और तो साउथ अफ्रीका में बिताए गए साल गांधी जी के जीवन के सबसे कठिन समय मैं से एक था क्योंकि वहां पर उन्हें भेदभाव का काफी सामना करना पड़ा हालांकि इन्हीं भेदभाव नहीं उन्हें इतना सक्षम बना दिया कि वह लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते थे |
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और दोस्तों यु तो गांधीजी को सिर्फ 1 साल के लिए ही साउथ अफ्रीका भेजा गया था लेकिन वहां रह रहे भारतीयों और आम लोगों के हक के लिए 20 साल तक लड़ते रहे और इसी दौरान उन्होंने नटाल इंडियन कांग्रेस (NATAL INDIAN CONGRESS) की स्थापना की थी |
अफ्रीका में रहते हुए गांधी जी ने एक निडर सिविल राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में खुद की पहचान बना ली थी और फिर गोपाल कृष्ण गोखले जोकि इंडियन नेशनल कांग्रेस के एक सीनियर लीडर थे उन्होंने गांधीजी से भारत वापस आकर अपने देश को आजाद करवाने के लिए लोगों की लोगों की मदद करने की बात कही और फिर इस तरह से 1915 में गांधीजी भारत वापस आ गए और फिर यहां आकर उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन करके भारत की आजादी में अपना सहयोग शुरू कर दिया
और दोस्तों भारत के अंतर महज कुछ सालों में ही लोगों के चहिते बन गए और फिर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए उन्होंने भारत के लोगों में एकता की की घाठ बांध दी यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग धर्म और जात के लोगों को भी एक साथ लाने का काम किया और दोस्तों 1922 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया जिसके तहत अंग्रेजी चीजों का इस्तेमाल भारतीय लोगों ने लगभग बंद ही कर दिया था और फिर जब यह आंदोलन काफी सफल साबित हो रहा था
तब महात्मा गांधी को 1922 मैं 2 सालों के लिए जेल भेज दिया हालांकि गांधी जी के जेल जाने पर लोगों के अंदर और भी गुस्सा आ गया जिसकी वजह से पूरा भारत अब एक होने लगा था और फिर इसी कड़ी में मार्च 1930 मैं डांडी यात्रा को भी अंजाम दिया गया जिसमें 60000 लोगों की रफ्तारही थी और फिर इसी तरह से ही आगे भी गांधीजी के नेतृत्व में क्विट इंडिया मूवमेंट की तरह ही कई और भी आंदोलनों को अंजाम दिया जाता रहा
और इस दौरान गांधीजी की बहुत बार गिरफ्तारी भी हुई लेकिन दोस्तों महात्मा गांधी के द्वारा लगाई गई चिंगारी अब लोगों के भीतर आग बन कर जलने लगी थी और यही वजह थी कि गांधीजी के साथ साथ बाकी क्रांतिकारियों ने मिलकर 1947 में देश को आजाद कराने में अहम रोल अदा किया और फिर 15 अगस्त 1947 को हमारा भारत देश आजाद हो गया हालांकि अभी देश के अंदर आजादी का जश्न चल ही रहा था तभी 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मार कर हत्या कर दी और इस घटना में न सिर्फ देश में बल्कि पूरे दुनिया में शोक फैला दिया |
15 नवंबर 1949 को गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई थी | दोस्तों अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि जब तक गांधीजी जीवित रहे तब तक अहिंसा को ही हर चीज का जवाब मानते रहे और इसी सिद्धांत के दम पर ही उन्होंने अपनी पहचान बनाई थी हालांकि भले ही वह हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी सीख और उनके सिद्धांत आज भी पूरी दुनिया मानती है उम्मीद करते हैं कि गांधी जी की यह बायोग्राफी आपको जरूर ही पसंद आई होंगी |
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