CUC Question Papers 2021 PDF Download | 1st year Physics Paper 2nd

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प्रश्न 1-  कारणों के आदर्श उत्क्रमणीय चक्र को समझाइए तथा दक्षता प्राप्त कीजिए

 उत्तर –  कार्नो इंजन का उत्क्रमणीय चक्र –  उत्क्रमणीय प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसको विपरीत क्रम में भी ठीक उन्हीं व्यवस्थाओं में संपन्न किया जा सकता है जिन अवस्थाओं में उसे सीधी प्रक्रिया में संपन्न किया जाता है |ऊष्मागतिकी दृष्टिकोण से उत्क्रमणीय प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिनमें विपरीत दिशा में कार्यकारी पदार्थ में परिवर्तन करने पर पदार्थ ठीक उन्हीं अवस्थाओं से गुजरता है जिनमें कि वह सीधी प्रक्रिया से गुजरता है |

उदाहरण के लिए यदि कार्यकारी पदार्थ सीधी प्रक्रिया में dq कार्य करता है तो विपरीत क्रम में कार्यकारी पदार्थ पर dw कार्य dq उस्मा प्राप्त करना संभव होना चाहिए निश्चित द्रव्यमान कि एक गैस का नियत आप पर बहुत धीमे धीमे होने वाला संपीडन या प्रसार उत्क्रमणीय प्रक्रिया का सरल व स्पष्ट उदाहरण है |एक रुद्धोष्म प्रसार या रुद्धोष्म संपीडन को भी उत्क्रमित किया जा सकता है जबकि परिवर्तन बहुत ही धीमी गति से हो |उत्क्रमणीय प्रक्रिया में गैस ब्रह्मा वातावरण के साथ यांत्रिक व उष्मीय संतुलन में रहती है|

 उदाहरण – 1. समानता की दो वस्तुओं में ऊष्मा का स्थानांतरण |

2. स्प्रिंग को बहुत धीरे धीरे दबाना या छोड़ना |

3. द्रव्य का वाष्पन या संघनन |

कार्नो इंजन की दक्षता – कार्नो इंजन की दक्षता इंजन द्वारा एक चक्र में किए गए कार्य तथा अवशोषित उस्मा (Q1) के बराबर होती है अर्थात ,

कार्नो इंजन की दक्षता n = एक चक्र में कुल कार्य /एक चक्र में अवशोषित उस्मा = W/Q1

= R(T1-T2) loge ( V2/V1)/ RT1loge (V1/V2)

= Q  Q1-Q2/Q1 = T1-T2/T1

n= 1-Q2/Q1 = 1-T2/T1

उपरोक्त समीकरण में निम्न निष्कर्ष प्राप्त होते हैं –

1.कार्नो इंजन की दक्षता केवल स्त्रोत एवं सिंक के तापों  अर्थात T1  एवं T2  पर निर्भर करती है अर्थात यदि दो कार्नो इंजन समानता को पर कार्य कर रहे हैं तो उनकी दक्षता भी समान होंगी |

2.क्योंकि हमेशा T2बड़ा T1 अर्थात सिंक का ताप स्त्रोत के ताप से कम होगा इससे स्पष्ट है कि कार्नो इंजन की दक्षता सदैव 1( या 100प्रतिशत ) से कम होंगी |

3. स्त्रोत एवं सिंक मध्य तापांतर अर्थात T1-T2 का मान जितना अधिक होगा कार्नो इंजन की दक्षता उतनी ही अधिक होंगी |

4. कार्नो इंजन की दक्षता कार्यकारी पदार्थ गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती|

5.  यदि सिंक का ताप परम शून्य अर्थात ( T2=OK) हो  जाए तो कार्नो इंजन की दक्षता 1  यह  100% हो जाएंगी  ध्यान रखें परम शून्य ताप प्राप्त करना असंभव है|

 प्रश्न 2- एंट्रापी को परिभाषित करते हुए उत्क्रमणीय प्रक्रम हेतु एंट्रापी परिवर्तन का व्यंजक प्राप्त कीजिए 

उत्तर – एंट्रापी – किसी निकाय की अवस्था का एक अद्वितीय फलन है तथा इसे दाब का आयतन आंतरिक ऊर्जा आदि की भांति ही ऊष्मा गति निर्देशक माना जाता है एंट्रापी वह भौतिक राशि है जो रुद्धोष्म उत्क्रमणीय प्रक्रम में नियत रहती है यदि एक रुद्धोष्म अवस्था में दूसरी रुद्धोष्म अवस्था में जाने पर ताप T पर dq ऊष्मा अवशोषित या निष्कासित होती है तो-

Ds = dq/dt

 उत्क्रमणीय चक्र में एंट्रापी में परिवर्तन – माना एक ऐसा उत्क्रमणीय प्रक्रम है जिसमें निकाय ब्रह्मा वातावरण से T टॉप पर DQ ऊष्मा अवशोषित करता है तब निकाय को एंट्रापी में वृद्धि = DS1= DQ/T लेकिन साथ-साथ क्योंकि ताप T पर ब्रह्म वातावरण  की उस्मा DQ  होती है अतः ब्रह्म वातावरण की एंट्रापी में कमी -ds2=dq/t

( यहां ऋण आत्मक चिन्ह बताता है कि एंट्रापी घटती है)

 इसीलिए  निकाय तथा ब्रह्म  वातावरण अर्थात ब्रह्मांड की कुल एंट्रापी में परिवर्तन-

Ds1- ds2 = dq/t – dq/t =0

इस प्रकार उत्क्रमणीय प्रक्रम में ब्रह्मांड की एंट्रापी में परिवर्तन सुनने होता है अर्थात उत्क्रमणीय प्रक्रम में ब्रह्मांड की एंट्रापी नियत रहती है |

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प्रश्न 3 – चार प्रमेध कानों के दो एक समान बक्सों में वितरण के आधार पर किसी सांख्यिकी निकाय के लिए स्थूल  एवं  सुदम अवस्थाओं को समझाइए 

उत्तर – दो निकाय जो आपस में ऊष्मा का आदान प्रदान कर सकते हैं उष्मीय संपर्क में कहलाते हैं माना चित्र में दो निकाय A व B परस्पर सुचालक दीवार द्वारा उष्मीय संपर्क मैं है निकायों की कुल ऊर्जा E नियत रहती है |

माना निकाय A ऊर्जा E1 व निकाय की ऊर्जा E2 है तो E1 + E2 = E= नियतांक 

या E1 = E-E1…………समीकरण 1

जब निकाय A तथा B साम्यावस्था में होंगे तो A व B निकायों की ऊर्जाए E1 व E2 होने की प्रायिकता अधिकतम होगा 

P(E1) = C  Ω(E1)……..समीकरण.2

जहां C नियतांक है |

P(E2) = CΩ(E2) …….समीकरण3

जहां C’ एक अन्य नियतांक है |

P(E1,E2) = P(E)XP(E2)

               = CC’Ω(E1) Ω(E2)………..समीकरण4

समीकरण 4 के दोनों और की राशियों को लघुगणक करने पर –

Log (E1-E2)= logb+logc’+ logΩ(E1)+logΩ(E2)………….समीकरण 5

लेकिन P(E1-E2) अथवा log(E1-E2) के अधिकतम होने की शर्त है कि –

δ/δE1 ( log P(E1-E2) =0या δ/δE2 (log P(E1-E2 ) = 0 ………….समीकरण 6

समीकरण 6 का E1 के सापेक्ष अवकलन करने पर 

δ/δ1 ( log p (E1.E2) = 0+0+δ/ δE2 log Ω(E1) + δ/δE2 log Ω (E2)=0

पता समीकरण 6 से –

δ/δE1 ( log p ( E1-E2) =0

या δ/δE1 log δ(E1) + δ/δE 2 log कणो  (E2)=0

समीकरण से  B (E1) = B (E2)

B1 = B2

जहां B (E1) = δ/δE1 log Ω(E1)

तथा B (E2) =  δ/δE1 log Ω(E2)

प्रश्न 4- बोस आइंस्टीन सांख्यिकी की मूल अवधारणा लिखिए तथा वितरण नियम प्राप्त कीजिए 

उत्तर – बोस – आइसक्रीम सांख्यिकी की सरते निम्न है –

1.निकाय के सभी कण सर्वस्वम अविभेद होते हैं तथा प्रत्येक करण का चक्रण 0 अथवा पूर्णांक होता है |

2. कला आकाश में प्रत्येक कोण कॉस्टिका C  जो क्वांटम अवस्था प्रदर्शित करती है का आयतन निश्चित =h3 होता है जहां h प्लांक  क्वांटम है |

3.माना n सर्वस्वम तथा अविभेद कणो E जिनका चक्रण 0 अथवा प्रदर्शित करती है अथवा पूर्णांक होता है |

माना n कथा सर्वस्वम तथा अविभेद कणो c जिनका चक्रण क्वांटम सांख्यिकी के अनुसार n कणो मे से प्रत्येक कण ,की उर्जा E के आसपास विभिन्न ऊर्जा स्तर में होंगी अर्थात प्रत्येक संभव ऊर्जा अवस्था के ऊर्जा स्तरओं की संख्या है अर्थात G ऊर्जा अवस्था E की अपभ्रष्टता है क्योंकि बोस आइंस्टीन सांख्यिकी में से सभी क्वांटम संख्याओं की संख्या है | अब हमें n कणो की g क्वांटम अवस्था में चाहे जितने कण  हो सकते हैं |

Ω = ( nr + gr – 1 )/ nr (gr- 1)

अतः निकाल के n कणो के वितरण के कुल विन्याओं की संख्या 

Ω = ( n1+ g1-1)/n1;(g1-1) x (n2+g2 -1)/n2 (g2-1)x…………x (nr+gr-1)/nr(gr-1)

फोन प्राइस तक के सिद्धांत से इस वितरण की उष्मागतिकी प्रायिकता 

W ∝ Ω 

या 

W = (n1+ g1-1)/n1(g1-1) x (n2=g2-1)/n2(g2-1)x …….(nr=gr-1)/nr (gr-1) x नियतांक 

logW = E/r ( loge (nr+gr-1) – log nr – log (gr-1) + नियतांक 

क्योंकि (nr +gr) बड़ा है 1 तथा (nr+gr-1) = nr+gr

Loge w = E/r (loge (nr+gr)- logr-loge (gr -1 )

क्योंकि nr तथा gr बहुत अधिक है अतः स्टर्लिंग के सूत्र loge n = n loge n-nसे 

Loge W = E/r (nr=gr) loe (nr=gr)-(nr+gr)

  • (nr loge nr-nr) – (cgr -1 ) log ( gr-1)- (gr -1) + नियतांक 

1.कणो की कुल संख्या n नियत है अर्थात 

N= n1+ n2 + n3+……+nr = नियतांक 

Nr = gr/ ea + (er/kt)-1

Nr = gr/Ae er/KT-1

यही बॉस आइंस्टीन सांख्यिकी का विवरण फलन है |

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प्रश्न 5 – निम्न में से किसी एक व्यक्ति आनिक के भौतिक शास्त्र पर योगदान पर प्रकाश डालिए 1.मैक्स वेल 2.आइंस्टीन 

उत्तर – आइंस्टीन – अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी में बूटेमबर्ग के उल्म नगर में हुआ था अल्बर्ट आइंस्टीन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और आध्यात्मिक भौतिकविद थे आपको प्रकाश विद्युत उत्सर्जन की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था इसके पूर्व 1915 में आइंस्टीन समीकरण का प्रयोग सत्यापन मिलिकॉन ने किया था |

अल्बर्ट आइंस्टीन ना केवल विज्ञान अपितु साहित्य संगीत अध्यात्मिक और कला के भी थे 1999 में टाइम नामक पत्रिका ने आपको शताब्दी पुरुष घोषित किया आपने 50 से अधिक शोध एवं विज्ञान से अलग विभिन्न विषयों की किताबें लिखी |सन उन्नीस सौ पांच मैं जर्मनी के भौतिक जनरल में शोध ने समस्त संसार को एक नई दृष्टि प्रदान की |

1.पहला शोध पत्र प्रकाश विद्युत प्रकाश की व्याख्या प्लांट के सिद्धांत पर करता था इस शोध पत्र द्वारा प्रकाश की द्विती प्रकृति के बारे में पता चला अर्थात प्रकार का व्यवहार कण और तरंग दोनों की तरह है |

  1. प्रकाश विद्युत प्रभाव – जब उचित आवृत्ति तरंग धैर्य ऊर्जा का प्रयोग होता है तो उनमें से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगता है प्रकाश के प्रभाव से किसी धातु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं |
  2. द्विती प्रकृति – विकिरण की 2 / अभीमुक्ता होती है कहीं पर यह तरंग की तरह व्यवहार करता है और कहीं पर कर्ण की तरह विकिरण की इस प्रकृति को उसकी द्विती प्रकृति कहते हैं |

2. A. ब्राउनियन गति – वनस्पति शास्त्र के वैज्ञानिक रॉबर्ट ब्राउन ने तरल का अध्ययन करने पर पाया कि तरल के अंदर के मशीन कर नियमित गति और बढ़ जाती है अतः कणों की ताप पर निर्भर इस अनियमित गति को ब्राउनी गति का नाम दिया |

B. बोस आइंस्टीन सांख्यिकी – इतने कर प्रमोद होते हैं कणों के सुनने के तरीकों में कोई अंतर नहीं होता प्रत्येक प्रकोष्ठ एक समान कौन रखता है बोमान बोस आइंस्टीन सांख्यिकी का पालन करते हैं |

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